बहुत रोका उनको पर कुछ आँसू बग़ावत कर गये
बहुत रोका उनको पर कुछ आँसू बग़ावत कर गये
ना चाहते हुए भी ...वो आज आँखो से रिहा हो गये
बेवफा वो थे...आज ये भी बेवफा हो गये
गमो का सहारा था अब तक ....आज वो भी कुछ कम हो गये
कितने फरमोश थे ये कल तक....आज क्यु ये बाघी बन गये
लालच दिया इनको इतना ...फिर भी चेहरे पर क्यु ये आ गये
क्यू है तेरी यादे इतनी सख़्त ...के ये आँसू बेपरवाह हो गये
जो कल तक थे मेरे हमदर्द...आज ये भी तेरे हो गये
पार कर आज सारी सरहदे ...आज ये अलविदा हो गये
छोड़ गये वो चार अश्क तो क्या....
याद करके फिर तुमको....फिर एक समुंदर हम आँखो तक ले गये